

१२ जनवरी मंगलवार को श्रीनगर से ६७ किमी दूर अभामा का यह दृश्य है। यहां एक नौजवान के शव की अंत्येष्टि के लिए हजारों लोग आए हुए हैं। यही नहीं महिलाएं, बच्चे, बच्चियां और बूढ़े भी श्रद्धांजलि देने के लिए दूर दराज से पहुंचे। भारतीय सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में रियाज अहमद नाम के इस नौजवान की मृत्यु हुई। प्रशासन कह रहा है कि रियाज आतंकवादी था। लेकिन हजारों लोग उसके जनाजे में उमड़े। यह बिल्कुल सीधा साधा ठोस तथ्य है कि अभामा में हजारों लोग इस मौके पर पहुंचे। महिलाएं रो रही थीं। बच्चे सुबक रहे थे। माएं छाती पीट रही थीं और प्रशासन कह रहा था कि यह एक आतंकवादी है। यकीन नहीं होता। एक आतंकी, जिसने कथित तौर पर अभामा के हजारों लोगों की जिंदगी को अपनी हरकत से हलकान कर कर रख दिया था, की अंत्येष्टि में हजारों लोग जमा हुए। प्रशासन लगातार कह रहा है कि वह एक खुंखार आतंकी था। जबिक देखने में यह एक २५-३० साल का गबरू नौजवान का शव है। प्रशासन के दावों पर यकीन नहीं होता। आतंकवाद की परिभाषा में जरूर कुछ गड़बड़ी है।
4 comments:
बेगुनाह को मारकर आतंकवादी न बताए तो प्रशासन काहे का...पुलिस व सेना अपने चरित्र के मुताबिक ही कार्य कर रही है...आप अपनी नजर काबिज रखें...
कश्मीर कुछ समझ नहीं आ रहा है. कल ही किसी ने एक मीटिंग में हँगामा किया था
कुएँ में भाँग पड़ी है।
मुसलिम जिहादी आतंकवागदियों को निर्दोश कहने का आपको रोग हो गया है उससे बाहर आने का प्रयत्न करो वरना कहीं आपका भी कहं यही हश्र न हो
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