
प्लेकार्ड पर क्या लिखा है-
१-हमको जिसने किया अनाथ
उनका तुम क्यों देते हो साथ?
२-हत्यारों के पनाहगार
किसके हक में मानवाधिकार?
३-इतना आंदोलन करवाते हो
कहां से पैसा लाते हो?
स्थानीय लोगों ने अब जाना मानवाधिकारवादियों को
ये तथाकथित मानवाधिकारवादियों की धोखाधड़ी लोगों के सामने उजागर हो चुकी है। दो दिन पहले संदीप पांडे और मेधा पाटकर दंतेवाड़ा भी गए थे वहां पुलिसिया जुल्म सह रहे आदिवासियों ने उन्हें घेर लिया। खबर तो यह भी है कि उन्हें तमाचा भी जड़ दिया गया। लेकिन यह सब क्यों? हो रहा है क्योंकि इन लोगों ने जनता के साथ धोखाधड़ी की है सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए।
१९९८ में पोखरण में परमाणु विस्फोट के खिलाफ संदीप पांडेय ने पोखरण से सारनाथ तक की पैदल यात्रा की थी। उसमें जो लोग शामिल हुए उन्हें बाद में पता चला कि उस पूरी यात्रा को ब्रिटेन की फंडिंग एजेंसी आक्सफेम ने प्रायोजित किया। ये रंगे हुए मानवाधिकारी हैं। जनता को धीरे धीरे हकीकत मालूम हो रहा है... जनता अपने साथ हुए धोखे का बदला लेगी ही