Sunday, November 22, 2009

अमेरिका का इमोशनल अत्याचार

बराक ओबामा की हालिया चीन यात्रा में उभरी अमेरिका-चीन की जुगलबंदी से भारत के रणनीतिकारों के होश फाख्ता हैं। यही कारण रहा कि हू जिंताओ और बराक ओबामा के संयुक्त बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त हुई। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है जब अमेरिका एक तरफ भारत को पुचकारता है तो दूसरी तरफ अपने हित साधने में उसे भारत की जरा भी परवाह नहींहोती। पाक प्रायोजित आतंकवाद का मामला इसका सबूत है। भारत पूरा जोर लगाकर पाकिस्तान की करतूतों का भंडा फोड़ता है, सबूत पर सबूत पेश करता रहता है लेकिन अमेरिका को वही करना होता है जो उसके हित में होता है, वह बिना कुछ बोले सैन्य मदद पाक की जेब में डाल देता है। जब भारत आपत्ति दर्ज कराता है तो वह कहता है कि हम दुनिया के दो शक्तिशाली लोकतांत्रिक देश हैं और हमारी रणनीतिक साझेदारी नैसर्गिक है, ऐसे में भारत को डरने की जरूरत नहीं है। वह भारत की स्वामीभक्ति सस्ते में हासिल करना चाहता है। यह इमोशनल अत्याचार नहींतो क्या है?
प्रधानमंत्री चार दिन के राजकीय यात्रा पर अमेरिका गए हुए हैं। भारत के रणनीतिकारों का कौशल देखिए...उन्हें इस बात पर ज्यादा गर्व है कि पीएम के भोज की व्यवस्था ओबामा परिवार खुद देख रहा है। टेंट और रसोइये का इंतजाम खुद अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा कर रही हैं। प्रधानमंत्री के शाकाहार के लिए अलग अलाव चढ़ेगा।
ओबामा अभी-अभी जापान और चीन में झुक कर आए हैं यहां भी थोड़ा झुक लेंगे...भारत को और क्या चाहिए? आतंकवाद का मुद्दा, व्यापार का मुद्दा, परमाणु अप्रसार का मुद्दा...ईरान-भारत-पाकिस्तान गैस पाइप लाइन का मुद्दा...ये सब तो बातें हैं...इन बातों का क्या... होती रहेंगी। विमान भर कर गए रणनीतिकार अमेरिका के डिनर के जायके से फूल जाएंगे। भारत आकर कहेंगे...दोनों नेताओं में सभी मुद्दों पर झूम कर बातचीत हुई। पर उनसे पूछिए कि इस झप्पी का नतीजा क्या रहा तो वे डिनर में पेश किए गए मुगलई चिकन की तारीफ करेंगे और बताएंगे कि वह खासकर फला खानसामे से खासकर भारत की मेहमानवाजी में बनवाए गए थे...बड़ा जायकेदार डिनर था, ओबामा तो ऐसे बिछे कि लगा ही नहीं वह महाशक्ति के नेता हैं।
माननीय प्रधानमंत्री जी देश को बताएंगे कि परमाणु करार पर अमेरिका को हमने पटरी पर ला दिया है। व्यापार पर द्विपक्षीय सहयोग की बात हुई है और आतंकवाद पर अमेरिका कड़ा रुख अपनाने का वादा किया है। हालांकि यह बात गोल कर जाएंगे कि अमेरिका ने परमाणु करार में अप्रसार का रोड़ा डाल दिया...कि पाकिस्तान की जेब गरम न करने का कोई वादा नहीं किया...कि देश की तरक्की में मील का पत्थर साबित होने वाली भारत-पाक-ईरान गैस पाइप लाइन में टांग अड़ाने की उसने जिद नहीं छोड़ी है। और इस प्रकार पीएम की अमेरिका यात्रा आशातीत सफलताओं के साथ संपन्न हो जाएगी। यह इमोशनल अत्याचार नहीं तो क्या है?