
यह दृश्य दिल्ली के जामा मस्जद का है। ईद उल जुहा के हफ्ते भर पहले से ही यहां बकरे ही बकरे दिखते हैं। बुधवार को मैं यहां भूले भटके पहुंच गया। जामा मस्जिद को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां जानबूझ कर फैलाई गई हैं। लेकिन वहां जाकर पता चला कि एक ही देश में रहने वालों के बीच गलतफहमी है। इतना तो पता था कि बकरीद में बकरे हलाल होते हैं लेकिन जब दो दांत और चार दांत के बकरों के बेचे जाने की आवाज कान में पड़ी तो बस एक ही खयाल आया कि कितना कुछ हम बिना जाने ही किसी खास विषय पर पूर्वाग्रह बना लेते हैं। यह तस्वीर आप सबके नजर।
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